निर्मल आश्रम ने भोजन वितरित करने की व्यवस्था को बदला

निर्मल आश्रम लगातार इन दिनों सैकड़ों बे घरों को प्रतिदिन भोजन करा रहा है। मगर कई बेघर घर ले जाने के बहाने भोजन को इधर उधर से फेंक रहे हैं। ऐसी जानकारी सामने आने के बाद निर्मल कराने के लिए व्यवस्था में बदलाव कर दिया है। अब पंगत बैठा कर सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए बे घरों को भोजन खिलाया जाएगा। 2 सप्ताह से निर्मल आश्रम लगातार सैकड़ों बे घरों को प्रतिदिन भोजन करवाकर उनकी भूख शांत करने में का एक दाना भी किसी की भूख को आश्रम ने मुनी की रेती में भोजन आसानी से शांत कर सकता है।

संतो के आशीर्वाद से हजारों लोगों को रोज मिल रहा है भोजन

संतो के आशीर्वाद से हजारों लोगों को रोज मिल रहा है भोजन

जरूरतमंदो का सहारा बनी निर्मल आश्रम संस्था

ऋषिकेश-मानव सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। गरीबों की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है।इसी सोच के साथ तीर्थ नगरी ऋषिकेश में निर्मल आश्रम संस्था कोविड 19 के कहर की वजह से रोजी रोटी के लिए मोहताज हो गये हजारों लोगों का सहारा बनकर जुटी हुई है।देश में प्रधानमंत्री द्वारा लाँकडाउन लगाने के बाद से तीर्थ नगरी में संस्था की और से रोजाना गरीबो एवं जरूरत मंद लोगों के लिए चाय,नाश्ते और भोजन का प्रबंध किया जा रहा है।देवभूमि ऋषिकेश में लॉकडाउन के दौरान रोज काम कर अपना जीवन चलाने वाले लोग खासे परेशान हैं। इन लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।ऐसे में लोगों की मदद के लिए निर्मल आश्रम द्वारा जरूरतमंद लोगों के लिए लंगर लगाया जा रहा है। मजदूरों और गरीबों के लिए खाना बनाकर उन्हें बांटा जा रहा है।यही नही संस्था अपने मायाकुंड स्थित अपने आश्रम में सुबह पांच बजे से हजारों लोगों को राशन एवं दैनिक प्रयोग के आवश्यक सामानों का वितरण भी कर रही है।आश्रम के पुनीत प्रयासों से लम्बी लम्बी कतारों में लगकर हजारों जरूरतमंद रोजाना लाभान्वित होकर संस्था का गुणगान कर रहे हैं। उल्लेखनीय यह भी है कि पिछले तीन सप्ताह से यह अभियान लगातार बिना किसी प्रचार प्रसार के साथ चल रहा है।आश्रम के पूज्यनीय मंहत राम सिंह जी महाराज और संत जौध सिंह महाराज के आर्शीवाद से संस्था शहर के गरीब तबके और जरूरतमंद लोगों के लिए सबसे बड़ा सहारा बनकर कार्य कर रही है।कोरोना को लेकर 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लागू हो गया था। इसके बाद जब जरूरी सामान और दवा को छोड़कर सभी तरह की दुकानें और दफ्तर भी बंद हो गए तो सबसे बड़ा संकट यही दिखा कि दिहाड़ी मजदूर गरीब बेसहारे क्या खाएंगे।इसके लिए नगर प्रशासन के साथ सैकड़ों स्वयंसेवी संस्थाएं, राजनीतिक-सामाजिक संगठन जरूरतमंदों को खाना खिलाने में जुट गये।इसमें निर्मल आश्रम संस्था दिव्य संतो के पावन आर्शीवाद से लगातार अग्रणीय भूमिका निभा रही है।